Thursday, September 1, 2016

सुनो, सुनो, सुनो,
हिमाचल के बेरोजगारों को कमाई का सुनहरा अवसर। एक बंदर मारने पर मिलेगा 300 रुपए का नगद इनाम, ये मैं नहीं कह रहा प्रदेश सरकार का है फरमान, किसी तरह की न्यूनतम योग्यता नहीं, बस तीर निशाने पर लगना चाहिए। जल्द कीजिए ऑफर केवल सीमित समय के लिए।



हिमाचल प्रदेश में बंदरों का आतंक इस कदर बढ़ गया है कि अब प्रदेश सरकार को बंपर ऑफर निकालना पड़ा। बंपर ऑफर भी ऐसा जिसमें एक बंदर को मारने पर आपको 300 का रुपए का इनाम मिलेगा। अभी तक आपने बंपर ऑफरों के बारे में सुना तो होगा पर वे ऑफर या तो टेलिकाम कंपनियों ने दिए होंगे या फिर ई कॉमर्स साइट्स ने। लेकिन इस बार आपको हिमाचल सरकार भी बंपर ऑफर दे रही है। आपको बस करना इतना है कि प्रदेश की 38 तहसीलों और शिमला शहर में बंदरों को मारना होगा। जल्दी कीजिए क्योंकि यह ऑफर केवल सीमित समय तक है, क्योंकि यह ऑफर केवल 14 सितंबर तक ही है। बंदरों को वर्मिन घोषित करने की अवधि 14 सितंबर को हो पूरी हो रही है। बहरहाल ऑफर की अवधि बढ़ाने के लिए सरकार ने इसकी एक्सटेंशन के लिए केंद्र सरकार को एक पत्र भेज दिया है। जिसमें बंदर मारने की डेट को 6 महीने बढ़ाने की मांग की गई है।

रोजगार का सुनहरा अवसर

प्रदेश के वन मंत्री ने यह निर्णय जंगलों के बाहर बंदरों की बड़ी जमात पर अंकुश लगाने के लिए लिया है, लेकिन सरकार का यह फैसला बेरोजगारी पर भी अंकुश लगाने में कारगर सिद्ध हो सकता है। इसे कहते हैं एक तीर से दो निशानें। वन मंत्री के इस निर्णय से प्रदेश के बेरोजगारों के लिए कमाई का सुनहरा अवसर मिलने के आसार हैं। इस ऑफर के लिए कोई न्यूनतम योग्यता नहीं, बस तीर  निशाने पर लगना चाहिए।

शहर से लेकर गांव तक त्राहीमाम

हिमाचल में करीब सवा तीन लाख उत्पादी बंदर है। जो शहर से लेकर गांव तक लोगों को परेशान कर रहे हैं। दरअसल सिमटते जंगलों के चलते बंदर अब आबादी क्षेत्र का रूख करने लगे हैं। बंदरों की संख्या राज्यभर में तेजी से बढ़ रही है, जिसके चलते वन विभाग ने यह फैसला लिया है। कुछ क्षेत्रों में बंदरों का आतंक इतना बढ़ गया है कि किसानों ने खेती से मुंह मोड़ लिया है। शिमला, सोलन, सिरमौर और मंडी की कई पंचायतों में तो जमीन तक बंजर हो गई है। प्रति वर्ष उत्पादी बंदर करोड़ों रुपए की फसल चट कर रहे हैं। ऐसे में किसानों और बागवानों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। वैसे तो यह काम वन विभाग का होता है कि जंगली जानवरों के आतंक से लोगों को निजात दिलाए, पर विभाग ने अपनी जिम्मवारी से मुंह मोड़ दिया है। अब वन विभाग बेरोजगारों के कंधों पर से बंदूक चलाने की कोशिश कर रहा है।

कौन समझेगा बंदरों की व्यथा

जंगलों पर तो मनुष्य ने अपना अधिकार जमा लिया है, और जो वहां के रहने वाले हैं उन्हें वहां से खदेड़ दिया है। ऐसे में अगर वो गांव या शहरों की ओर नहीं आएंगे तो कहां जाएंगे? चांद पर तो अभी जीवन संभव नहीं हुआ है। ऐसे में चांद पर जाने की तो वो सोच भी नहीं सकते। अरे भाई बंदरों को भी तो जीने के लिए कुछ खाना पड़ता है। ऐसे में किसानों की फसलें नहीं खाएंगे तो क्या खाएंगे, जंगल तो पहले की सिमट चुके हैं।

सकते में बंदर कम्युनिटी

सरकार के इस फरमान के बाद बंदर कम्युनिटी भी सकते में आ गई है। जैसे ही बंदरों को इस बात की भनक लगी तो बंदरों ने भी अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी। बंदरों को समझ आ गया है कि सरकार से इस समस्या का हल नहीं निकलने वाला। और उन्हें विश्वास भी है कि सरकार इस समस्या का हल भी नहीं निकाल सकेगी। अब उम्मीद है कि बंदर कम्युनिटी ही इस समस्या का उचित समाधान निकाल पाए। या तो बंदर वापस जंगलों की ओर चलें जाए या फिर खाना-पीना छोड़ दें। इस पर निर्णय होना बाकी है।

धर्म संकट में किसान

वानरों को भगवान का दर्जा देने वाले हिमाचल के भोले-भाले लोग क्या इन वानरों की जान ले पाएंगे यह देखने वाली बात होगी। ऐसे में देखना यह होगा क्या किसानों को इस ऑफर का फायदा मिल पाएगा या नहीं। या फिर यह ऑफर भी समाप्त हो जाएगा और किसानों की यह समस्या जस की तस बनी रहेगी। लेकिन यह बात गौर करने वाली है की जब से केंद्र ने यह अनुमति दी है, तब से किसी भी क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति बंदरों को मारने के लिए आगे नहीं आया है। ऐसे में यह ऑफर कितना कारगर सिद्ध होता है यह आने वाला समय ही बताएगा।

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